
Shiv aur parvati
शिव और पारवती दोनों अभेद्य शक्ति है। एक प्रकृति हैं और दूसरे पुरुष। दोनों के संयोग से ही इस सृष्टि का परिचालन होता है। Shiva parvati
दोनों प्रेम की महान पराकाष्ठा का एक रूप है।
प्रेम दो लोगों के बीच होता है। और शिव और पार्वति तो अभेद्य हैं। अर्धनारीश्वर इनका स्पष्ट रूप है। अब जो शिव हैं वही पारवती हैं। जिसको
प्रेम करना है वही प्रेयसी भी है जो प्रेयसी है उसी को प्रेम भी करना है।
दोनों का प्रेम सर्वविदित हैं। शिव रात्रि भी इस प्रेम का अनोखा और अनुकम्पनिया महोत्सव है।
शिव, शक्ति या अर्धनारीश्वर में क्या हैं?
दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। इसिलए अर्धनारीश्वर के रूप में भी इन्हे पूजा जाता है। Shiva parvati भक्ति की महँ उच्च अवस्थाओं को
प्रकट करती है।
Goddess shakti
देवी पारवती ने शिव को प्राप्त करने के लिए कई जन्म लिए तब जाकर कहीं वो पूर्ण रूप से अपने स्वरुप में शिव महादेव के साथ एकाकार हो
सकीं।
What is the relationship between Shiva and Parvati?
माता पारवती दक्ष प्रजापति के यहाँ जन्म लिया उस जन्म में शिव से विवाह तो हुआ. फिर भी जन्म दोष रह गया था. जिस कारण उनका उस
जन्म में पिता के बिना निमंत्रण (दक्ष प्रजापति) के यज्ञ में उपस्थित हुई.
और ग्लानि के कारण अपना शरीर अग्नि में समर्पित कर दिया। अगला जन्म उन्होंने हिमालय पुत्री के रूप में लिया।
What’s the relationship between Sati and Shiva, and Shiva and Parvati?
इस जन्म में भी उनका विवाह शिव से हुआ परन्तु उनकी एकाग्रता और भक्ति में अभी भी कुछ कमी रह जाने के कारणवह। उन्हें शिव से शाप
मिला की तुम्हे मत्स्य कन्या के रूप में जन्म लेना होगा।
और कैसे एक मछवारा अपने मन को नियंत्रित करता है यह सीखना होगा तब जा के तुम मेरे लिए पूर्ण रूप से सम्पूर्ण हो सकोगी।
Parvati mata
जब माता पारवती दक्ष प्रजापति की पुत्री रूप में अवतरित हुई थीं उन्होंने अपना शरीर अग्नि में अर्पित कर दिया था।
महादेव उस भस्म शरीर को ले कर धरती पर विचरण करने लगे। यही सती के अंग धरती पर जिन इक्यावन स्थानों में कट-कटकर गिरे थे।
वे सब स्थान ही आज शक्तिपीठ के रूप में माने जाते हैं। आज भी उन स्थानों में माता सती जी का पूजन होता हैं धन्य था शिव और सती का प्रेम।
यही Shiva parvati के प्रेम ने दोनों को अमर और वंदनीय बना दिया।
भगवन शिव की परम शक्तिया क्या है?
माता पारवती भगवान् शिव की परम शक्ति है। दोनों अभेद्य हैं। इसीलिए उन्हें अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है।
How to do shiv parvati puja?
आप सर्वप्रथम भगवान् श्री गणेश जी का पूजन करें। भगवन गणेश जी को स्नान कराएं। उन्हें वस्त्र अर्पित करें।
उनकी गंध पुष्प अक्षत द्वारा पूजन करें। आप अब शिव-पार्वती का पूजन करें। आप शिव-पार्वती को स्नान कराएं।
Shiv parvati pooja
स्नान के लिए पहले आप जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से शिव पारवती को स्नान कराएं। शिव और पार्वती को वस्त्र अर्पित करें।
आप वस्त्रों के बाद उन्हें फूलों के आभूषण पहनाएं। अब Shiva parvati को पुष्पमाला पहनाएं। अब उन्हें तिलक करें।
lord shiva and parvati
‘‘ऊँ साम्ब शिवाय नमः” मंत्र उच्चारण करते हुए हुए भगवान महादेव शिव को अष्ट गंध का तिलक करें ।
‘‘ऊँ गौर्ये नमः’मंत्र का उच्चारण करते हुए आप माता parabatai को कुमकुम का तिलक करण। आप शिव और पारवती को धूप व दीप अर्पित करें।
lord shiva parvati
उन्हें फूल अर्पित करें। श्रद्धा के अनुसार आप दोनों को घी या तेल का दीपक देण। अब आप उनकी आरती करें। आरती के पश्चात् दोनों की परिक्रमा करें।
नेवैद्य अर्पित करें। भगवान शिव और parvati का बिल्व पत्र द्वारा पूजन करें। कनेर के पुष्प को अर्पित करें। शिव पारवती के पूजन के समय
‘‘ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः”इस मंत्र का जाप अवश्य करते रहें।
Was God Shiva and Parvati the first interracial marriage in India?
नहीं परन्तु हम शिव और devi uma के विवाह को सामन्य मनुष्य की बांटी यहाँ समझना बिल्कुल गलत है।
Shiva parvati परम पुरुष और परम प्रकृति हैं। जिनके द्वारा इस सृष्टि चालयमान रहने संभव है
Shiv katha
एक बार जब ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद उत्पान हुआ। तब अचानक एक अग्निस्तंभ अवतरित हुआ।
वह अग्नि स्तंभ बेहद विशाल और अनंत था।
Shiv puran
दोनों की आंखों के द्वारा उस स्तम्भ को देख पाना असंभव तह। तब दोनों के बीच यह तय हुआ कि ब्रह्मा अग्नि के इस खंभे का ऊपरी सिरे को
खोजेंगे और विष्णु इसका निचला सिरा। ब्रह्मा जी ने हंस का रूप धरा और ऊपर की और उड़ चले।
Shiv katha in hindi
विष्णु ने वाराह का रूप धारण किया तथा धरती के नीचे की और अग्नि स्तंभ के जड़ खोजने निकल पड़े।जब अततः दोनों में से कोई सफल नहीं
हो पाया तो दोनों लौट कर वापस आ गए।
Shiva puranam
विष्णु भगवान् ने यह मान लिया कि वह सिरा नहीं खोज पाए। ब्रह्मा जी उसके सिरे को खोज तो नहीं पाए परन्तु नहीं यह कह दिया कि वो सिरा देखा।
ब्रह्मा जी ने जैसे ही असत्य कहा था वह अग्नि स्तंभ फट गया और उसमें से शिव भगवन प्रकट हुए।
Lord shiva parvati katha in hindi
भगवन शिव ने ब्रह्मा जी को झूठ बोलने के लिए डांटा और उन्होंने विष्णु को सच स्वीकारने के कारण ब्रह्मा से बड़ा सिद्ध किया। और यह भी
स्पष्ट हो गया की शिव ही देवोँ के देव महादेव हैं।
Shiv puran in hindi
क्योंकि दोनों मिलकर भी उनके आदि-अंत का पता नहीं लगा सके।इसिलए शिव ब्रह्मा और विष्णु से भी बड़े हैं।
यहाँ पर यह भी स्पष्ट करना अनिवार्य है की ब्रह्मा ने झूठ कहा इसलिए जगत में उनकी पूजा नहीं होती हैः।
यह शिव का ही श्राप ब्रह्मा जी को है।
Shivparvati katha
ईशान संहिता के अनुसार कहा जाता है की शिवलिंग का प्राकट्य फाल्गुन मास की कृष्ण की चतुर्दशी की रात्रि में हुआ था।
इसिलए इसी दिन शिवरात्रि भी मनाई जाती है।