
What is meant by navgrah?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे जीवन में Navgrah का बहुत ही महत्व होता है. जो सीधे-सीधे हमारी राशियों में प्रभाव डालते हैं.
सभी ग्रह शिव भगवान के रूद्र से अवतरित हुए हैं ऐसा माना जाता है. हमारे ग्रह व्यक्ति के जीवन में घटित होने वाले अच्छे और बुरे दिन का कारण होते हैं.
Navagraha positions
जब कभी भी किसी के जीवन में अचानक कोई परेशानी आ जाती है. तो इसका मतलब ये भी सकता है की आपके ग्रह में कोई ग्रह रुष्ठ हो. या ग्रह अशांत हो.
What is navgrah shanti
कुंडली के जो नौ ग्रह होते हैं उनके भी देवी देवता होते हैं. अगर नौ ग्रहों में से कोई आपको परेशान कर रहा है. तो आप उस ग्रह से सम्बंधित देवी देवता की पूजा करके उस ग्रह को प्रसन्न कर सकते हैं.
What is navgrah puja
Navgrah के देवी देवता कौन-कौन से होते हैं? सबसे पहले बात करते हैं सूर्य ग्रह की. आपकी कुंडली में यदि सूर्य देव के कारण कोई विपत्ति उत्पन्न होती है. तो आप श्री विष्णु जी की पूजा कर सकते हैं.
सूर्य ग्रह का देवता होते हैं श्री विष्णु जी.
Navagraha pooja
दूसरे गृह की अगर बात की जाये तो वह हैं चंद्रमा ग्रह. जिनके देवता होते हैं हनुमान जी.
अगर आपको चंद्रमा ग्रह से सम्बंधित कोई परेशानी आ रही है. तो आप हनुमान जी की पूजा कर सकते हैं. (Navgrah Images)
तीसरे गृह की अगर बात की जाए तो वह हैं बुध ग्रह. बुध ग्रह की देवी होती है श्री दुर्गा माता.
अगर आपको बुध ग्रह से सम्बंधित कोई परेशानियां आ रही है. तो आप श्री दुर्गा माता जी की पूजा करके बुध ग्रह को प्रसन्न कर सकते हैं.
How to do navgrah puja
चौथे गृह होते हैं गुरु ग्रह या बृहस्पति ग्रह. बृहस्पति ग्रह के देवता होते हैं ब्रह्मा जी. (Navgrah)
पांचवे गृह हैं शुक्र ग्रह. शुक्र ग्रह की देवी होती है श्री लक्ष्मी जी. आप लक्ष्मी जी की पूजा करके भी शुक्र को प्रसन्न कर सकते हैं.
छठे गृह हैं शनि ग्रह. शनि ग्रह के देवता होते हैं श्री भैरव जी. अगर आपको कोई परेशानी आ रही है.
आपकी शनि महादशा चल रही है या साढ़ेसाती चल रही है. तो आप श्री भैरव जी की पूजा करके शनि ग्रह को प्रसन्न कर सकते.
Saur mandal ke grah
Navgrah में से सातवें गृह होते हैं राहु ग्रह, राहु ग्रह की देवी होती है माता सरस्वती. आप माता सरस्वती की पूजा करके राहु ग्रह को प्रसन्न कर सकते हैं.
आठवें गृह होते हैं केतु ग्रह. जिनके देवता होते हैं गणेश जी. आप गणेश जी की आराधना करके केतु देव को प्रसन्न कर सकते हैं.
Is there any difference between a planet and the Hindi word ‘navgrah’?
Planet and Navgrah में कोई अंतर नहीं होता है. प्लेनेट ग्रह का अंग्रेजी शब्द है.
How can I do a Navagraha Puja at home?
जब कभी भी आपके घर में कोई शुभ कार्य होने वाला हो. या घर में क्लेश की स्थिति बन रही हो. तो आपको अवश्य ही नवग्रह की पूजा करनी चाहिए.
नवग्रह यदि जीवन में शांत हो गए. तो जीवन में किसी भी प्रकार कमी नहीं रहती है. Navgrah की स्थापना पूजा से पहले करनी चाहिए.
How to make navgrah yantra?
लाल कपड़े किसी एक टेबल पर बिछा देना है फिर चावल लेकर आपको नवग्रह बनाने होते हैं. जहाँ पर आपको नौ खाने बनाने होंगे. जब आपके पास कोई जानकार व्यक्ति या कोई पंडित गई न हो तो यह सबसे आसान तरीका होता है Navgrah पूजा का.
How to use navgrah yantra?
नवग्रह बनाने के बाद आपको पूजा विधि के लिए सबसे पहले सूर्य देवता की पूजा करनी चाहिए. आत्मा का करक सूर्य देव होते हैं. तेज के कारक सूर्य देव होते हैं.
यदि दुर्य देव आप पर प्रसन्न हो जाए तो इतनी आकर्षक सकती आप को मिल जाएगी कि जीवन की जितनी भी परेशानी है वो ख़त्म हो जाएँगी.
What is navgrah yantra
सूर्य देव जो आपने नवग्रह बनाया है उन ग्रहों के मध्य में इनकी स्थिति होती है. यहाँ पर आपको सूर्य देव की पूजा करनी है. आप दिए गए वीडियो के माध्यम से समझ सकते हैं. इसके बाद आपको सूर्य देव की पूजा करनी होगी. जिस प्रकार से वीडियो में दिखाया गया है.
Navgrah dosh door karne ki samarthya kis grah mein hoti hai
इसके बाद आपको हाथ में अक्षत लेकर. सूर्य मंत्र का उच्चारण करना होगा. ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः.
इसके बाद आपको कि मंगल की पूजा करनी है. उसके बाद और सभी गृह की पूजा आपको करनी होगी.
जिस प्रकार वीडियो में दिखाया गया है. पूजा हो जाने के बाद आपको इस मंत्र का जाप करना है. जो नवग्रह पूजा मंत्र है.
What is a single powerful mantra to appease Navagraha?
इस प्रकार Navgrah स्थपना हो जाने के बाद पूजा करें. जो बिना पंडित के कर सकते हैं.
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी
भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥१॥
नवग्रह दोष को दूर करने की सामर्थ्य किस ग्रह में होती है?
नवग्रह दोष दूर करने के लिए ऐसे कोई विसिष्ट गृह की चर्चा हम नहीं कर सकते. फिर भी वृहस्पति गृह को हम ज्यादा पवित्र मानते हैं क्योकि वृहस्पति देव गुरु माने जानते हैं.
फिर भी यहाँ पर यह स्पष्ट करना अनिवार्य है की हर एक ग्रह की अपनी-अपनी एक विशेष समता है. जहाँ आपको दोष दूर करने के लिए आपको उनसे सम्बंधित देवता की पूजा करनी चाहिए.
What is navgrah chalisa
।। श्री Navgrah चालीसा ।।
चौपाई
श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय।
नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय।।
जय जय रवि शशि सोम बुध जय गुरु भृगु शनि राज।
जयति राहु अरु केतु ग्रह करहुं अनुग्रह आज।।
।। श्री सूर्य स्तुति ।।
प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा, करहुं कृपा जनि जानि अनाथा।
हे आदित्य दिवाकर भानू, मैं मति मन्द महा अज्ञानू।
अब निज जन कहं हरहु कलेषा, दिनकर द्वादश रूप दिनेशा।
नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर, अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर।
।। श्री चन्द्र स्तुति ।।
शशि मयंक रजनीपति स्वामी, चन्द्र कलानिधि नमो नमामि।
राकापति हिमांशु राकेशा, प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा।
सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर, शीत रश्मि औषधि निशाकर।
तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा, शरण शरण जन हरहुं कलेशा।
Navgrah chalisa
।। श्री मंगल स्तुति ।।
जय जय जय मंगल सुखदाता, लोहित भौमादिक विख्याता।
अंगारक कुज रुज ऋणहारी, करहुं दया यही विनय हमारी।
हे महिसुत छितिसुत सुखराशी, लोहितांग जय जन अघनाशी।
अगम अमंगल अब हर लीजै, सकल मनोरथ पूरण कीजै।
।। श्री बुध स्तुति ।।
जय शशि नन्दन बुध महाराजा, करहु सकल जन कहं शुभ काजा।
दीजै बुद्धि बल सुमति सुजाना, कठिन कष्ट हरि करि कल्याणा।
हे तारासुत रोहिणी नन्दन, चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन।
पूजहिं आस दास कहुं स्वामी, प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी।
Navgrah
।। श्री बृहस्पति स्तुति ।।
जयति जयति जय श्री गुरुदेवा, करूं सदा तुम्हरी प्रभु सेवा।
देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी, इन्द्र पुरोहित विद्यादानी।
वाचस्पति बागीश उदारा, जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा।
विद्या सिन्धु अंगिरा नामा, करहुं सकल विधि पूरण कामा।
।। श्री शुक्र स्तुति।।
शुक्र देव पद तल जल जाता, दास निरन्तन ध्यान लगाता।
हे उशना भार्गव भृगु नन्दन, दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन।
भृगुकुल भूषण दूषण हारी, हरहुं नेष्ट ग्रह करहुं सुखारी।
तुहि द्विजबर जोशी सिरताजा, नर शरीर के तुमही राजा।
।। श्री शनि स्तुति ।।
जय श्री शनिदेव रवि नन्दन, जय कृष्णो सौरी जगवन्दन।
पिंगल मन्द रौद्र यम नामा, वप्र आदि कोणस्थ ललामा।
वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा, क्षण महं करत रंक क्षण राजा।
ललत स्वर्ण पद करत निहाला, हरहुं विपत्ति छाया के लाला।
।। श्री राहु स्तुति ।।
जय जय राहु गगन प्रविसइया, तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया।
रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा, शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा।
सैहिंकेय तुम निशाचर राजा, अर्धकाय जग राखहु लाजा।
यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु, सदा शान्ति और सुख उपजावहु।
।। श्री केतु स्तुति ।।
जय श्री केतु कठिन दुखहारी, करहु सुजन हित मंगलकारी।
ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला, घोर रौद्रतन अघमन काला।
शिखी तारिका ग्रह बलवान, महा प्रताप न तेज ठिकाना।
वाहन मीन महा शुभकारी, दीजै शान्ति दया उर धारी।
।। Navgrah शांति फल ।।
तीरथराज प्रयाग सुपासा, बसै राम के सुन्दर दासा।
ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी, दुर्वासाश्रम जन दुख हारी।
नवग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु, जन तन कष्ट उतारण सेतू।
जो नित पाठ करै चित लावै, सब सुख भोगि परम पद पावै।।
।। दोहा ।।
धन्य नवग्रह देव प्रभु, महिमा अगम अपार।
चित नव मंगल मोद गृह जगत जनन सुखद्वार।।
यह चालीसा नवोग्रह, विरचित सुन्दरदास।
पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख, सर्वानन्द हुलास।।
Navgrah mantra
ग्रहाणामादिरात्यो लोकरक्षणकारक:। विषमस्थानसम्भूतां पीड़ां हरतु मे रवि: ।।1।।
रोहिणीश: सुधामूर्ति: सुधागात्र: सुधाशन:। विषमस्थानसम्भूतां पीड़ां हरतु मे विधु: ।।2।।
भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा। वृष्टिकृद् वृष्टिहर्ता च पीड़ां हरतु में कुज: ।।3।।
उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:। सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीड़ां हरतु मे बुध: ।।4।।
देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:। अनेकशिष्यसम्पूर्ण:पीड़ां हरतु मे गुरु: ।।5।।
navagraha images
दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति:। प्रभु: ताराग्रहाणां च पीड़ां हरतु मे भृगु: ।।6।।
सूर्यपुत्रो दीर्घदेहा विशालाक्ष: शिवप्रिय:। मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु मे शनि: ।।7।।
अनेकरूपवर्णेश्च शतशोऽथ सहस्त्रदृक्। उत्पातरूपो जगतां पीडां पीड़ां मे तम: ।।8।।
महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबल:। अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीड़ां हरतु मे शिखी: ।।9।।
navgrah yantra
आप Navgrah यन्त्र का प्रयोग नवग्रह शान्ति के लिए किया जाता है. इस यन्त्र के माध्यम से आप नवग्रह को शांत करते हैं.
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