
Lord ganesha
श्री गणेश रिद्धि और सिद्धि के दाता भगवान् शिवजी और माँ भगवती के पुत्र हैं। श्री ganapathi विघ्नहर्ता हैं। मनुष्यों के विघ्नो को हरण करते हैं, इसिलए विघ्न विनायक भी lord ganesha जी को कहा जाता हैं।
वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥
Vighnaharta Ganesha
सभी विघ्नों का हरण करने वाले हमारे गणेश जी हैं। गणेश जी का ध्यान चिंतन मनन आपको रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति करता है। अशांत और चंचल मन को शांत करने के लिए गणेश जी हमेशा शान्ति रूप में भक्तों के पास रहते हैं। गणेश जी को किसी भी शुभ कार्य के प्रारम्भ में हमेशा पूजा जाता है। ताकि वह कार्य पूर्ण रूप से सिद्ध हो और फलदायक हो।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्री भगवान् गणेश जी को केतु का देवता भी कहे जाते हैं। Ganesh भगवान जी को हिन्दू शास्त्र में किसी भी कार्य को प्राम्भ करने से पहले पूजा जाता है। इसीलिए गणेश जी प्रथम पूज्य भी कहे जाते हैं।
Ganesh katha in hindi
चारों दिशाओं में lord ganesha की चार भुजाएं सर्वव्यापकता का प्रतीक हैं। श्री ganesha जी को लम्बोदर भी कहा जाता है। क्योकि यह समस्त सृष्टि उनके पेट में विचरती है।
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्।।
Ganpati bappa जी के बड़े कान उनके सुनने की शक्ति तथा गणेश जी के छोटी और पैनी आँखे सुक्ष्म तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं। श्री ganpati जी की लम्बी नासिका/सूंड उनकी बुद्धित्व का प्रतीक कही जाती है।
Ganesh janam katha
बहुत पुरानी बात है, सुमेरु पर्वत में सौभरि ऋषि का मनोरम आश्रम स्थित था। सौभरि ऋषि की पत्नी थी, जिनका नाम मनोमायी था। एक बार चुपचाप, ऋषि आश्रम में आकर कौंच नामक गंधर्व ने मनोमयी के साथ गलत व्यवहार किया। जब ऋषि आश्रम में वापस आये तो उन्होंने कौंच को श्राप दिया और कहा तूने चोर की तरह मेरी पत्नी का हाथ पकड़ा है।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
इस कारण तू मूषक होकर धरती के नीचे चोरी करके अपना पेट भरेगा। तब कौंच ने कांपते हुए उनसे माफ़ी मांगी। दयालु ऋषि ने उन्हें यह वरदान दिया की आप महादेव और पारवती पुत्र lord ganesha जी के वाहन बनेगे। आपको डिंक नाम से पुकारा जाएगा।
Ganesh ji ki janam katha in hindi
एक बार सृष्टि से जब रिद्धि सिद्धि चली गई तथा पूरे ब्रह्माण्ड में घोर अशांति और अतृप्तता छा गई। शिव जी के घोर तपस्या में लीन होने के कारण जब कोई भी उपाय किसी के समझ में नहीं आ रहा था, तभी माता लक्ष्मी के उपायनुसार देवी पार्वती ने अपने शरीर के मैल से ganesh ji को उत्पन्न किया।
Lord shiva
वर्षों की समाधि के पश्चात जब भगवान् शिव वापस कैलाश लौटे। महादेव माता पार्वती से मिलने उनके कक्ष पर जाने लगे। परन्तु द्वार पर गणेश जी को माँ पारवती ने यह आदेश देकर खड़ा किया था की कोई भी भीतर न आ पाए। lord ganesha आज्ञानुसार पालन करने हेतु उन्होने शिव जी को भी भीतर नहीं जाने दिया।
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
गणेश जी की अनभिग्यता के कारण उनका मल रुपी सर lord shiva ने धर से अलग कर दिया। गणेश जी को भूमि पर मृत देख माता पार्वती विचलित हो गई। उन्होंने भगवान् शिव से गणेश जी को जीवित करने हेतु अनुरोध किया। तत्पचात त्रिदेव ने गणेश जी पर हाथी का सर लगा दिया तथा गणेश जी को प्रथम पूज्य का वरदान मिला।
Ganesh parivaar
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
पिता |
भगवान शंकर |
माता |
भगवती पार्वती |
भाई |
श्री कार्तिकेय (बड़े भाई) |
बहन |
अशोकसुन्दरी |
पत्नी- दो |
रिद्धि , सिद्धि |
पुत्र- दो |
शुभ, लाभ |
प्रिय भोग (मिष्ठान्न)- |
मोदक, लड्डू |
प्रिय पुष्प- |
लाल रंग के |
प्रिय वस्तु- |
दुर्वा (दूब), शमी-पत्र |
अधिपति- |
जल तत्व के |
प्रमुख अस्त्र- |
पाश, अंकुश |
वाहन – |
मूषक |
[…] Lord Ganesha […]
[…] Lord Shiva […]
[…] Lord Shiva […]
[…] Lord Shiva […]
[…] Vighnaharta Ganesha […]
[…] Ganesh Ji का वाहन हाथी भारतीय संस्कृति में धन और अच्छी किस्मत को आकर्षित करने के लिए माना जाता है। भारतीय और बौद्ध संस्कृति में हाथियों को विशाल शक्ति, कद, बुद्धि और साहस के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया गया है। हाथी धन की देवी लक्ष्मी जी के साथ भी जुड़ा हुआ है। […]