हिन्दू धर्म के अनुसार चार धाम को एक युग का प्रतीत माना गया है। इस तरह कलयुग का पवित्र धाम जगन्नाथ मन्दिर, पुरी को माना गया है। इस बार शुरू होगी । भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा है।क्या आप जानते है,इतने सालो से पुराना ये मंदिर अपने अंदर कई सारे राज़ समेटे हुए है इस मंदिर से इतने सारे राज़ जुड़ रहे है, जिन्हे आज भी विज्ञानं भी मनस्कार करता है। आज जाने भगवान जगन्नाथ के राज़(jagannath puri temple facts in hindi)।
puri jagannath story
सैकङो साल पहले एक ऐसे राज़ ने जन्म लिया जो आज भी लोगो को हैरान करता है।एक विशालकाय गुम्बद वैज्ञानिको के लिए पहेली बन गया है ऐसा गुम्बद जिसमे करोङो लोगो की आस्था जुडी हुए है। ये अपने दिल मे इतने सारे रहस्य समेटे हुए है जो आज तक बेपर्दा नहीं हुए है।सैकङो साल पहले न जाने कौन सी टेक्नोलॉजी का इस्तमाल हुआ।
history of jagannath puri
सालो पहले न जाने इस कंक्रीट के बने विशालकाय गुम्बद का निर्माण हुआ।सैकङो साल पहले न जाने किस आस्था ने जन्म लिया की विश्वास का इतना बड़ा मंदिर खड़ा हो गया। अस्मजस रहस्यों को समेटो हुए है, भगवान जगन्नाथ। गौरव पूर्ण अतीत के साथ गहरे राज का केंद्र है ,भगवान जगन्नाथ। इस भव्य मंदिर का गुम्बद उस पर लगा ध्वज एक कहानी बताते है। ऐसे कहानी जिस पर विश्वास करना मुश्किल है। यहाँ से उठती आवाजे और समुन्दर के गर्भ मे अविश्वनीय रहस्य छिपा हुआ है। भगवान जगन्नाथ की ये यात्रा धरती पर उमड़ने वाला सबसे बड़ा जन सैलाब माना जाता है। आखिर इसका राज क्या है। आज जाने भगवान जगन्नाथ के 7 राज़। ये यात्रा अपने अंदर गज़ब का रोमांच समेटे हुए है।
bhagwan jagannath story in hindi
बताते है जितना भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा मे है। उस से ज्यादा रहस्य मंदिर मे छुपा है।आइये जानते है मंदिर के रहस्य जो मंदिर के रथ यात्रा से जुड़े है। मंदिर पर लगा ध्वज बहुत रहस्यमयी है। ये हमेशा हवा के वितरीत दिशा मे लहराता रहता है।अगर हवा पूरब से पश्चिम मे बह रही हो ये ध्वज पश्चिम से पूरब की ओर लहराएगा।ऐसा किस वजह से होता है ये तो वैज्ञानिक भी नहीं जानते। ये बात बहुत ही अविश्नीय है। ये भी आश्चर्य है की हर रोज़ शाम को ध्वज को मंदिर के ऊपर उल्टा चढ़ाकर बदला जाता है। ऐसा लगे ये सीधी दिशा मे लहरा रहा है।
facts about puri jagannath temple
ध्वज भी इतना भव्य है जब ही ये लहराता है तो ऐसा लगता है, लोग इसको देख़ते रह जाते है। ध्वज पर चंद्र भी बना हुआ है। ये दुनिया का सबसे भव्य व् ऊँचा मंदिर है। ये मंदिर 4 लाख वर्ग फुट मे फैला है।लम्बाई लगभग 214 फ़ीट है। मंदिर के पास खड़े रहकर इसका गुम्बद देख पाया असंभव है।इसकी छाया रहस्यी ढंग से छिपी हुए है।एक एक गहरा राज़ क्योकि इसकी छाया दिन के किसी भी समय अदृस्य ही रहती है। इसकी छाया दिखाई नहीं देती।
हमारे पूर्वज कितने बड़े इंजीनियर रहे होंगे। ये एक मंदिर एक उदाहरण से समझा जा सकता है।पुरी का ये भव्य मंदिर का रूप 7वी सदी मे बनाया गया था।
राज़ पहला
Chamatkarik sudarshan chakra
जब भी आप जगन्नाथ पूरी जाये इस मंदिर पर लगे इस सुद्रशन चक्र को देखिये।जब भी आप जगन्नाथ पूरी जाये इस मंदिर पर लगे इस सुद्रशन चक्र को देखिये।आप जगन्नाथ पुरी मे कही भी खड़े हो, आपको यह सुन सुद्रशन चक्र पुरी मे हर जगह से देख सकते है। किसी भी दिशा से देखने से लगता है। ये सुदर्शन चक्र आपके सामने ही है। ऐसा लगेगा ये बस आपके सामने है ऐसे वीर चक्र भी कहा जाता है। इसको वीर चक्र इसलिए कहा जाता है क्योकि ये अस्त्र धातु से बना है। ये चक्र बेहद पवित्र माना जाता है।
तीसरा राज़
Hawa ki disha
आम दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है। शाम के दौरान इसके विपरीत लेकिन पुरी मे इसका उल्टा होता है।ज्यादातर समुद्री तट पर समुद्री हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है। यहाँ हवा जमीन से समुद्र की तरफ जाती है।
चौथा राज़
Gummad ke upar nahi udte pakshi
आज तक गुम्बद के ऊपर कोई भी पक्षी उडता हुआ नहीं देखा गया। इसके ऊपर से विमान भी नहीं उदय जा सकता. मंदिर के शिखर के पास पक्षी उड़ते नज़र नहीं आते।आपने देखा होगा भारत के मंदिरो के गुम्बद के ऊपर पक्षी बैठ जाते है।लेकिन इस मंदिर के आसपास ऐसा कुछ नहीं है।
पांचवा राज़
Duniya ka sabse bada rasoi ghar
800 रसोई 300 सहयोगियों के साथ बनाते है। भगवन जगन नाथ जी का प्रसाद।यहाँ हर रोज़ लगभग 20 लाख लोग भोजन कर सकते है।कहा जाता है मंदिर मे भले ही कुछ हज़ार लोगो के लिए भोजन क्यों न बनाया गया हो लेकिन इस से लाखो लोगो का पेट भर सकता है। मंदिर के अंदर खाने पकने की मात्रा पूरी साल के लिए रहती है.प्रसाद की मात्रा कभी भी नहीं जाती।
छठवा राज़
Samunder ki awwaz
मंदिर के द्वार मे पहला कदम रखते ही समुन्दर की लहरों से उठने वाली किसी भी आवाज़े का आना बंद हो जाता है। लेकिन जैसे ही आप बहार कदम रखेंगे आपको मंदिर के बहार की आवाज़ साफ़ सुनाई देगी। शाम के वक़्त इसको अनुभव करा जा सकता है. इसी तरह मंदिर के बहार स्वर्ग द्वार है। उहा पर मोख प्राप्ति के लिए शव जलाये जाते है। कभी आपको लाशो के चलने की गंध महसूस होगी।
सातवां राज़
Rup badlati murti
यहाँ श्री कृष्णा को भगवान जगन्नाथ कहा जाता है. उनके साथ भाई बलराम बहन सुभद्रा विराजमान है. तीनो की ये मूर्तिया कास्थ की बनी हुए है .यहाँ हर बार बारह साल मे नए तरह से तैयार होती है। मुर्तिया नयी जरूर बनायीं जाती है लेकिन आकर और रूप वही रहता है. जिसको घट्ट परिवर्तन कहा जाता है
आठवाँ राज़
Duniya ki sabse badi rathyatra
भगवान जगन्नाथ की ये रथ यात्रा 5 किलोमीटर मे होती है इसमें लाखो लोग शरीक होते है। उत्सव का मौहोल होता हर कोई भक्ति भाव-विभोर मे होता है ।चारो और देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसा कोई बड़ा त्यौहार हो। वैसे इसको त्यौहार की तरह मनाया जाता है। यह यात्रा बहुत ही पवित्र यात्रा मानी गयी है। इस रथ यात्रा मे इतनी भीड़ होती है, पैर रखने की भी जगह नहीं होती। एक बड़े से लेकर बच्चे तक इसमें शरीक होते है।ऐसी वजह से इसको दुनिया की सबसे बड़ी रथ यात्रा मानी गयी है।ऐसा कहा जाता है स्वम भगवान श्री कृष्णा इस दिन अपने भक्तो को दर्शन देने आते है। यहाँ हर कोई भगवान की भक्ति लीला मे डूबा होता है।
नौवा राज़
Jab bhagvan hanuman bane rakshak
ऐसा माना जाता है ३ बार समुद्र ने जगन्नाथ जी के मंदिर को तोड़ दिया था। कहते है भगवान जगन नाथ ने समुद्र को नियत्रित करने के लिए भगवान हनुमान को तैनात किया था। हनुमान जी भी प्रभु के दर्शन के लिए नगर मई प्रवेश कर जाते थे। ऐसे मे समुद्र भी उनके पीछे पीछे नगर मे दाखिल हो जाता था। तब भगवान जगन्नाथ ने स्वम हनुमान जी को स्वाम पीढ़ी मे तट पर इस्थापित किया था।यहाँ आज भी बजरंग बलि का प्राचीन मंदिर है।