Dhanteras 2018 Meaning – धनतेरस का क्या मतलब है ?
नमस्कार दोस्तों आज बात करने वाले हैं हम धनतेरस ! धनतेरस (Dhanteras) का त्योहार जो दिवाली (Diwali ) से 2 दिन पहले आता है क्या है धनतेरस त्यौहार ? इसकी क्या विशेषता है ? जो यह दिवाली के समय पर ही आता है कार्तिक मास महत्वपूर्ण दिन होता है किसी भी व्यक्ति को धन की समस्या आ रही हो उसके लिए ,धनतेरस (Dhanteras ) का अर्थ ही यह है कि अपने धन को 13 गुना कर देना । इस दिन अगर व्यक्ति पूजन करता है तो उस व्यक्ति का धन 13 गुना बढ़ जाता है अब यह तो बात धनतेरस का अर्थ था

धनतेरस क्यों विशेष है ?
क्यों विशेष है इसके बारे में चर्चा करते हैं इस दिन कार्तिक त्रयोदशी तिथि होती है धनवंतरी भगवान का प्राकट्य हुआ था अर्थात इस दिन समुद्र मंथन के द्वारा प्रकट हुआ और इसी दिन को धन वृद्धि के लिए हर व्यक्ति विशेष पूजा करता है इस बात से आप सभी अवगत होंगे की इसी दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी भी उत्पन हुई थी
और इसी समुद्र मंथन से धनवंतरी जी अमृत कलश लेकर उत्पन्न हुए थे अमृत के बारे में आप जानते ही हैं अमृत कलश गांव के सभी उसे पीके अमर हो गए थे कुछ असुरों ने भी पी थी परंतु भगवान श्री हरि के द्वारा कुछ ऐसी लीला कर दी गई जिसके कारण केवल राहु केतु ही इसे पी सके । धनतेरस (Dhanteras ) यह तो इनका महत्व हो गया कि इस दिन इन उत्पन्न हुए थे धनवंतरी जी ।और इनका पूजन करना चाहिए ।अपने धन को 13 गुना बढ़ाने के लिए |

धनतेरस पर क्या सयोग बन रहा है ?
इस बार बहुत महासंयोग हम कह सकते हैं संयोग इस बार धनतेरस त्यौहार पर आ रहा है अर्थात योग इस बार बन रहा है जैसे धनतेरस त्यौहार है5 नवंबर 2018 इसी दिन सोम प्रदोष व्रत भी है मास की शिवरात्रि शिवरात्रि आती है वह भी प्रदोष व्रत और सबसे बड़ी बात काली चौदस का किसी दिन है आश्विन मास कृष्ण पक्ष दशमी तिथि 5 नवंबर 2018 हस्त नक्षत्र दिन लग रहा है कोई भी व्यक्ति अगर धनवंतरी जी की पूजा करें और महालक्ष्मी की पूजा करें तो उस व्यक्ति के जीवन काल में कभी धन की कमी नहीं होगी |
धनतेरस 2018 में क्या क्या ख़रीदे ?
धनतेरस (happyDhanteras) के पावन त्योहार पर सभी व्यक्ति कुछ नया कुछ नई वस्तुए खरीदते हैं जिनमें अनुसार सतयुग में ऐसा नहीं होता था सतयुग में लोग इस दिन गुरु मंत्र अथवा अपने जीवन का कल्याण हो सके ऐसी वस्तुएं खरीदा करते थे जानते हैं कि अब कलयुग में क्या चल रहा है रूस का प्रथम चरण चल रहा है

तामसिक प्रवृत्ति या बहुत बढ़ जाने की वजह से तामसिक प्रवृत्तियों से यह अर्थ लगाना चाहिए की जो बुरी शक्तियां है वह बहुत ज्यादा बढ़ गई है
जैसी जैसी नवीनीकरण की तरफ बढ़ रहे हैं युग के हिसाब से इस दिन विद्युत संबंधी अथवा उपयोग होने वाली वस्तुएं अर्थात टीवी फ्रीज जो घर में मनुष्य के लिए ज्यादा वस्तुएं हैं आज के समय में वह आज के दिन खरीदने से ऐसा मान्यता है कि अगर आज के दिन वह खरीदते हैं तो बहुत लाभ प्राप्त करते हैं
धनतेरस पर सोना क्यों ख़रीदे ?
एक विशेषता और है की इस दिन सोना मानिक क्यों खरीदे जाएं । तो भगवान धन्वंतरी जी साक्षात अपना आशीर्वाद उस व्यक्ति पर बनाते हैं और उसके धन में वृद्धि प्रदान करते हैं मां लक्ष्मी भी इस चीज से प्रसन्न होती हैं और उस व्यक्ति के धन धान में कमी नहीं आती है इस दिन सोना जवाहरात अपनी यदि आ शादीशुदा हैं तो अपनी पत्नी को भेंट कर सकते हैं यह आपकी पत्नी आपको भेट कर सकती है अगर तो अपनी माता को भेंट करें । आप स्वर्ण या चांदी की चीज़े अपनी बहन को आप भेट कर सकते हैं

भगिनी अर्थात बहन अरे भारिया पत्नी इन को आप सोने की चीजें क्यों दे ? सभी स्त्रियों को विशेष रूप से श्रृंगार अथवा वस्तुएं बहुत ही प्रिय है इसका एक यही कारण है कि मां लक्ष्मी अपने स्वरूप देखा होगा तो उन्होंने सभी श्रृंगार का जो सामग्री है उनकी वह स्वर्ण की धारण किए हैं स्त्री स्वर्ण धारण करती है उसको उसके होती है अथवा सभी सौभाग्य उसको प्राप्त होते हैं इसीलिए उसको घर की लक्ष्मी कहा जाता है
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धनतेरस पूजा विधि – Dhanteras Puja Vidhi
विशेष रूप से धनतेरस की पूजा हमें श्रद्धा भाव से करनी चाहिए इसकी विधि क्या है आपके समक्ष इस लेख के माध्यम से मैं बताने जा रहा हु सर्वप्रथम अपना नित्य कर्म आप प्रातः कालीन में आने के बाद सूर्य अर्घ्य देने के बाद ,इस दिन सूर्य अर्घ भी देना चाहिए किसी भी पूजा को करने से पहले सूर्य अर्घ्य का भी बहुत महत्व बताया गया है । जब तक आप के अंदर पूजन में वाइब्रेशन पैदा नहीं है ऊर्जा के लिए आपको सूर्य अर्घ्य देना चाहिए । इस दिन विशेष रूप से दें । और भगवान धन्वंतरी श्री गणेश मां लक्ष्मी जी की आरती अथवा मूर्ति को स्थापित करें ।

धनतेरस पूजा सामग्री – Dhanteras Puja Samgri
अपने पूजा स्थान में फूल ,फल ,पान, सुपारी ,लौंग ,इलायची ,गोमती चक्र, पंचमेवा ,पंचामृत ,शुद्ध देसी गाय का दूध ,देसी गाय का गोबर ,दूर्वा कलश स्थापन के लिए पंच पल्लव एक कलश मूली पवित्री कोई वस्तु इस पूजन विधि में प्रयोग करनी चाहिए । जब इसका शुभ मुहूर्त हो इस पूजन को उसी समय करना चाहिए ।क्योंकि धनवंतरी जी एवं लक्ष्मी जी का प्राकट्य हुआ था इसलिए बहुत महत्व है और इस पूजन को करने से धन की वृद्धि होती है सामग्री अगर आपके पास पूर्ण नहीं हो पाती है

किसी कारणवश जो भी सामग्री आप प्रयोग नहीं कर पाए हैं या आपके पास उपलब्ध नहीं होती है तो उस के अभाव में आप अक्षत का प्रयोग करें क्योंकि ऐसी मान्यता है कि अक्षत किसी भी पूजन में अगर कोई सामग्री अथवा किसी भी सामग्री का अभाव हो जाता है का प्रयोग अवश्य करना चाहिए इसका भी बड़ा महत्व है ।यह तो पूजन सामग्री की बात हुई । इन विशेष सामग्रियों से आप इस बार धनतेरस का पूजन करें । और अपने जीवन को सफल बनाएं एवं धन की वृद्धि प्राप्त करें ।
धनतेरस का शुभ मुहूर्त-Shubh Muhurt Dhanteras 2018
धनतेरस (Dhanteras )के पावन त्योहार पर शुभ मुहूर्त का बहुत विशेष महत्व है क्योंकि इसी समय पर सृष्टि में धनवंतरी जी लक्ष्मी माता का प्राकट्य हुआ था शुभ मुहूर्त इस बार 5 नवंबर 2018 को धनतेरस त्यौहार पंचांग अनुसार अर्थात हिंदी पंचांग अनुसार विरोध कृत संवत्सर चल रहा है स्पेशल कार्तिक मास त्रयोदशी तिथि इस दिन का सूर्य उदय 6:37 इसी के बाद आप सूर्य अर्घ दे सकते हैं इस दिन सूर्य अस्त ६:42 पर होगा ।

इस दिन जो लोग संध्या वंदन करते हैं वह इस समय हस्त नक्षत्र इस बार आ रहा है शुभ काल है पहले अशुभ काल बताना तो अशोक काल अर्थात राहुकाल 8:01 से लेकर 9:24 तक रहेगा इस काल में कोई विशेष पूजन ना करें । अर्थात शुभ मुहूर्त है 5 नवंबर 2018 को 11:48 से 12:32 तक रहेगा । जिसमें आपको विशेष पूजन करना है उसका समय वन से लेकर उसको अमृत काल भी कहा जाता है
वह अमृत काल का समय 2:54 से लेकर अंतिम 4:26 तक रहेगा । इस समय पर आप धनतेरस की पूजा (Dhanteras puja)कर सकते हैं । लोग समय पर पूजन इत्यादि नहीं कर पाएंगे वह लोग सूर्य अस्त के बाद पूजन कर सकते हैं जिसका समय है 8:37 से लेकर 9:52 तक । इसलिए तक आप इस पूजन को कर सकते हैं
क्या है धनतेरस की कथा?
धनतेरस की कथा (Dhanteras katha) बहुत समय पहले एक राज्य में राजा निवास करते थे उनके कई वर्षों तक कोई संतान उत्पन्न नहीं हुई भगवान से बहुत प्रार्थना की हे प्रभु हमारी संतान जल्द से जल्द हो जाए । बहुत समय बाद राजा को एक प्रतापी और सुंदर पुत्र उनके घर में उत्पन्न हुआ । बहुत ही धूमधाम से उन्होंने उसका स्वागत किया । पूरे राज्य को भोज कराया । अनेकों अनेक पकवान बनवाए । सभी को कुछ ना कुछ प्रदान किया ।
जब राजा ने ब्राह्मणों इत्यादि से अथवा ज्योतिषियों से अपनी संतान के विषय में पूछा तो ऐसी उन्होंने ऐसी बात राजा को बताई । जिससे सुनकर राजा अपने पुत्र के विषय में राजा भयभीत हो गए । वह बात थी की राजकुमार जिस भी दिन विवाह करेगा उसके 4 दिन के भीतर उसकी मृत्यु हो जायगी । ये सुनकर राजा बहुत चिंतित हुए ।

राजा ने इसका कोई हल निकालना चाहा हल निकालने के लिए उन्होंने राजकुमार को अपने से बहुत दूर किसी ऐसे प्रदेश में किसी ऐसी जगह भेज दिया जहां पर दूर-दूर तक किसी भी स्त्री का आवागमन नहीं था से राजकुमार बड़े होते गए दिखने में बहुत सुंदर थे प्रभु की कृपा से उनका जन्म हुआ था और प्रभु की ही ऐसी लीला थी
उनके विषय में ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी एक दिन उस मार्ग से एक राजकुमारी बहुत ही अद्वितीय सुंदर सौंदर्य का एक बहुत ही प्रमाण सुंदरी राजकुमारी उस मार्ग से जा रही थी तभी राजकुमार की उम्र से भिंड हो गई । भेट हुई वार्ता हुई दोनों में प्रेम संबंध बन गया और उन्होंने विवाह करने की करने का निश्चय किया । जैसे ही उन्होंने विवाह कर लिया ।
ज्योतिषियों की भविष्यवाणी के अनुसार 4 दिन के अंदर ही कुमार की मृत्यु और ऐसा संभव भी हुआ क्योंकि यमदूत उनको लेने आ गए । यमदूत लेने आए राजकुमार की पत्नी राजकुमारी थी उन्होंने यमदुतो से आग्रह किया की उनके पति के प्राण न ले । तत्पश्चात सारी घटना जाकर यमदूत ने यमराज को सुनाई . उस दिन कार्तिक मॉस की त्रियोदशी थी
राजकुमारी से ७ दिए दान किये । जिससे उस के पति के प्राण बच जाय । जैसी कहा जाता है की जो भी व्यक्ति इस दिन दियो का दान करता है उसकी आयु लम्बी अथवा अकाल मृत्यु नहीं होती ।