
Ashtalakshmi Stotram-श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र
देवी शक्ति को आठ रूपों में पूजा जाता है । देवी शक्ति के इन रूपों को हम अष्टलक्ष्मी भी कहते है।देवी के इन आठ रूपों की पूजा कोई भी व्यक्ति पुरे मन और श्रद्धा से करता है । उसको हमेशा अच्छा फल मिलेगा । जो व्यक्ति सच्चे मन से अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के द्वारा उनकी पूजा करता है उसे देवी की कृपा से सुख और शांति की प्राप्ति होती है । Ashtalakshmi Stotram का प्रतिदिन पाठ करने से देवी की असीम कृपा आप पर बनी रहती है । Ashtalakshmi Stotram को रोजाना करने से आपके घर में लक्ष्मी हमेशा वास करेगी । अगर कोई सच्चा भक्त यदि माता लक्ष्मी के Ashtalakshmi Stotram के साथ श्री यंत्र को स्थापित करेगा । और नियमित रुप से पूजा-उपासना करता है, तो उसके व्यापार में वृद्धि व धन में बढोतरी होती रहेगी ।
Ashta Lakshmi Stotram With Meaning
जब भी आप माता लक्ष्मी की पूजा करते है तो ध्यान रखे की सफ़ेद रंग की वस्तुओ से करने से माता जल्दी खुश होती है और आपकी मनोकामना जल्दी ही पूरी होती है । माता लक्ष्मी को सफ़ेद रंग बहुत ही प्रिय है। यदि हो सके तो पूजा करते समय सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण करे ।
Ashtalakshmi Stotram paath का पाठ करने से पहले पूजा के स्थान को अच्छी तरह पवित्र करना चाहिए । संभव हो तो गंगाजल का ही प्रयोग करें । अपने सामने लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करके श्री यन्त्र को भी स्थापित करना चाहिए । पाठ के अंत में देवी को खीर का भोग अर्पित करके अपने बाद में भोग को प्रसाद के रूप में परिवार में बाँट देना चाहिए ।
।। ॐ।। अथ श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम ।। ॐ ।।
श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र पूजन विधि । Rituals to Worship Sri Ashtalakshmi Stotram
स्त्रोत का पाठ करने के लिए घर को गंगा जल से शुद्ध करना चाहिए तथा ईशान कोण की दिशा में माता लक्ष्मी कि चांदी की प्रतिमा या मूर्ति लगानी चाहिए. साथ ही श्री यंत्र भी स्थापित करना चाहिए श्री यंत्र को सामने रख कर उसे प्रणाम करना चाहिए और अष्टलक्ष्मियों का नाम लेते हुए । उन्हें प्रणाम करना चहिए, इसके पश्चात लक्ष्मी मंत्र बोलना चाहिए। पूजा करने के बाद लक्ष्मी जी कि कथा का आनद भी किया जा सकता है. माँ लक्ष्मी जी को खीर का भोग लगाना चाहिए और धूप, दीप, गंध और श्वेत फूलों से माता की पूजा करनी चाहिए. सभी को खीर का प्रसाद बांटकर स्वयं खीर जरूर ग्रहण करनी चाहिए.
|| ॐ|| अथ श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम || ॐ ||
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Ashta Lakshmi Stotram Lyrics
आदिलक्ष्मी | Aadi Lakshmi
सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवी चन्द्र सहोदरीहेममये |
मुनिगणमंडित मोक्षप्रदायिनी मंजुलभाषिणीवेदनुते ||
पंकजवासिनी देवसुपुजित सद्रुणवर्षिणी शांतियुते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी आदिलक्ष्मी सदापलीमाम ||१||
धान्यलक्ष्मी | Dhanya Lakshmi
अहिकली कल्मषनाशिनि कामिनी वैदिकरुपिणी वेदमये |
क्षीरमुद्भव मंगलरूपिणी मन्त्रनिवासिनी मन्त्रनुते | |
मंगलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पाद्युते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी धान्यलक्ष्मी सदा पली माम|| २||
धैर्यलक्ष्मी | Dhairya Lakshmi
जयवरवर्णिनी वैष्णवी भार्गवी मन्त्रस्वरूपिणी मन्त्रम्ये |
सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद ज्ञानविकासिनी शास्त्रनुते ||
भवभयहारिणी पापविमोचनि साधुजनाश्रित पादयुते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी धैर्यलक्ष्मी सदापलेमाम ||३||
गजलक्ष्मी | Gaj Lakshami
जयजय दुर्गतिनाशिनी कामिनी सर्वफलप्रद शास्त्रमये |
रथगज तुरगपदादी समावृत परिजनमंडित लोकनुते ||
हरिहर ब्रम्हा सुपूजित सेवित तापनिवारिणी पादयुते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी गजलक्ष्मी रूपेण पलेमाम ||४||
संतानलक्ष्मी | Santan Lakshmi
अहिखग वाहिनी मोहिनी चक्रनि रागविवर्धिनी लोकहितैषिणी
स्वरसप्त भूषित गाननुते सकल सूरासुर देवमुनीश्वर ||
मानववन्दित पादयुते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी संतानलक्ष्मी त्वं पालयमाम || ५ ||
विजय लक्ष्मी | Vijaya Lakshmi
जय कमलासनी सद्रतिदायिनी ज्ञानविकासिनी गानमये |
अनुदिनमर्चित कुमकुमधूसर-भूषित वासित वाद्यनुते ||
कनकधस्तुति वैभव वन्दित शंकर देशिक मान्य पदे |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी विजयलक्ष्मी सदा पालय माम ||६ ||
विद्यालक्ष्मी | Vidya Lakshmi
प्रणत सुरेश्वरी भारती भार्गवी शोकविनासिनी रत्नमये |
मणिमयभूषित कर्णविभूषण शांतिसमवृत हास्यमुखे ||
नवनिधिदायिनी कलिमहरिणी कामित फलप्रद हस्त युते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनीविद्यालक्ष्मी सदा पालय माम ||
धनलक्ष्मी | Dhan Lakshmi
धिमिधिमी धिंधिमी धिंधिमी धिंधिमी दुन्दुभी नाद सुपूर्णमये |
घूमघूम घुंघुम घुंघुम घुंघुम शंखनिनाद सुवाद्यनुते ||
वेदपूराणेतिहास सुपूजित वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी धनलक्ष्मी रूपेण पालय माम || ८||